क्या होम्योपैथी सिर्फ़ सर्दी–जुकाम के सिए है? (Myth vs Reality)
– Dr. Parth Mankad द्वारा
मेरे क्लिनिक में अक्सर मरीज आते हैं और सबसे पहला सवाल यही करते हैं –
“डॉक्टर साहब, होम्योपैथी तो बस सर्दी-जुकाम और खाँसी में काम आती है न? मेरी बड़ी बीमारी में इसका क्या फ़ायदा?”
उनके चेहरे पर झिझक, आँखों में संदेह और मन में ढेरों सवाल होते हैं। और मैं मुस्कुरा कर कहता हूँ – “होम्योपैथी सिर्फ़ जुकाम की दवा नहीं है, यह तो जीवन के हर स्तर को छूने वाली चिकित्सा पद्धति है।”
क्यों बनी यह गलतफ़हमी?
शायद इसलिए क्योंकि लोग अक्सर बच्चों की सर्दी-जुकाम या बुखार में मीठी गोलियाँ खाते देखते हैं। पर असलियत यह है कि होम्योपैथी शरीर, मन और आत्मा – तीनों को संतुलित करने का विज्ञान है।
“आइये जानते है – होमियोपैथी से जुड़े मिथ और तथ्य”
मिथ 1: होम्योपैथी केवल हल्की बीमारियों में असर करती है।
हकीकत: होम्योपैथी सिर्फ़ सर्दी-जुकाम या खाँसी तक सीमित नहीं है। यह एक समग्र चिकित्सा पद्धति है जो शरीर, मन और भावनाओं – तीनों स्तरों पर काम करती है। होम्योपैथी का प्रयोग थायरॉइड, एलर्जी, माइग्रेन, त्वचा रोग, पाचन संबंधी समस्याएँ, ऑटोइम्यून बीमारियाँ और यहाँ तक कि कैंसर के सहायक उपचार में भी किया जा रहा है।
मिथ 2: होम्योपैथी केवल बच्चों के लिए है ।
हकीकत: होम्योपैथी हर उम्र के व्यक्ति के लिए उपयुक्त है। बच्चे हों, युवा हों या बुजुर्ग – यह सभी के लिए सुरक्षित है। बच्चों में यह अधिक लोकप्रिय इसलिए है क्योंकि दवाइयाँ मीठी होती हैं और बिना किसी कड़वाहट के असर दिखाती हैं।
मिथ 3: होम्योपैथी में इलाज बहुत धीमा होता है ।
हकीकत: यह भी एक गलतफहमी है। तीव्र बीमारियों जैसे डेंगू, वायरल इंफेक्शन, पेट दर्द, एलर्जिक रिएक्शन में होम्योपैथी बहुत तेज़ असर दिखा सकती है। हाँ, पुरानी और वर्षों से चली आ रही बीमारियों में धीरे-धीरे स्थायी सुधार होता है – जो कि किसी भी दीर्घकालिक रोग में स्वाभाविक है।
हकीकत: होम्योपैथी कहाँ-कहाँ काम आती है? ।
•पुरानी बीमारियाँ – थायरॉइड, माइग्रेन, एलर्जी, पाचन की दिक्कतें।
•मानसिक तनाव – चिंता, अवसाद, नींद की समस्या।
•महिलाओं की परेशानियाँ – पीसीओडी, हार्मोनल बदलाव, रजोनिवृत्ति।
•बच्चों की तकलीफ़ें – बार-बार सर्दी-जुकाम, बिस्तर गीला करना, ध्यान की कमी।
एक सच्ची कहानी
कुछ साल पहले मेरे पास 35 वर्षीय महिला आईं। वे कई सालों से गंभीर एलर्जी और सांस लेने की तकलीफ़ से परेशान थीं। इनहेलर और दवाइयाँ उनके जीवन का हिस्सा बन चुकी थीं। उन्होंने संकोच से कहा –
“डॉक्टर, मुझे तो लगा था होम्योपैथी सिर्फ़ सर्दी-जुकाम की दवा है… लेकिन लोग कह रहे हैं कि यह एलर्जी में भी काम आ सकती है, इसलिए मैं आई हूँ।”
हमने उनका इलाज शुरू किया। हर मुलाक़ात में उन्होंने अपने लक्षण, अपनी भावनाएँ और अपना जीवन साझा किया। धीरे-धीरे उनकी तकलीफ़ कम होने लगी।
कुछ महीनों में उन्होंने खुद कहा –
“अब मुझे साँस लेने में उतनी दिक़्क़त नहीं होती, रात को चैन से सो पाती हूँ। और सबसे बड़ी बात – मुझे अब यह विश्वास हो गया है कि होम्योपैथी सिर्फ़ मीठी गोलियाँ नहीं, बल्कि जीवन बदलने वाली दवा है।”
उनके चेहरे पर आई वह राहत और आँखों में चमक मेरे लिए सबसे बड़ी उपलब्धि थी।
निष्कर्ष
होम्योपैथी केवल सर्दी-जुकाम तक सीमित नहीं है। यह एक गहन और सुरक्षित चिकित्सा है जो व्यक्ति को समग्र रूप से स्वस्थ करती है।
मेरे अनुभव में, जब मरीज इस सच्चाई को समझते हैं तो उनके मन से वर्षों से चला आ रहा डर और संदेह मिट जाता है।
तो अगली बार अगर कोई आपसे कहे –
“होम्योपैथी तो बस छोटे-मोटे रोगों के लिए है”
तो आप मुस्कुरा कर कह सकते हैं –
“नहीं, यह तो जीवन की बड़ी से बड़ी तकलीफ़ में भी आपके साथ खड़ी रहती है।”,
डॉ. पार्थ मांकड
होम्योपैथ | हेल्थ कोच | संस्थापक – Dr. Mankads Homeoclinic
Website: – www.homeoeclinic.com
